Swarang

दिल की एक ख्वाहिश

आखिर मैंने भी अपनी कलम को अवसर दे दिया की वो स्याही से ज़िन्दगी के कुछ हसीं पलो को अक्षरो का नाम दे! एक अरसे से दिल की ख्वाहिश थी अपने अरमानो को पटल पर रंगीन करने की! मैं और मेरी तन्हाई अक्सर ये बातें भी किया करते थे कि क्या कभी ये आरजू अपना मुकाम पाएगी? एक दिन ऐसे ही किसी ख्याल में मशगूल अपने सपनो को संजो रहा था और अगले ही क्षण खुद को भावनाओं के सैलाब में डूबता हुआ पाया! मैं और मेरी बेबसी उस सैलाब से बाहर आने का जरिया खोज रहे थे किन्तु सिर्फ एक ही उपाय नजर आ रहा था-”कलम”! ऐसा नहीं है कि मैंने कभी पहले कोशिश नहीं की, पर इतनी हिम्मत नहीं जुटा पाया.कि अपने विचारो को कलमबद्ध कर सकूँ! लेकिन उस दिन तो न जाने हवा में ही कुछ ख़ास बात थी! बरसात की बूंदो की टपटपाहट मानो कि मुझसे कह रही हो “क्या सोच रहे हो गोयल साहब? आज तो मौका भी है और दस्तूर भी! आप, आपके सपनो का संसार और रूमानी सा माहौल! चलिए, मैं ही आपको ले चलती हूँ इस हसीं, रंगीन दुनिया की सैर पर”! बस फिर क्या था – एक नए सफ़र का आग़ाज़! मन सभी सीमाओं को तोड़ कर खुले आसमान में उड़ने लगा. हाथ खुद ब खुद चलने लगे. किसे ने ठीक ही कहा है, “अगर किसी चीज़ को दिल से चाहो तो सारी कुदरत तुम्हे उससे मिलाने में लग जाती है”! और फिर ये कला तो सिर्फ एक चीज़ मात्र नहीं बल्कि मेरे अपने सपनो का, भावनाओं का साकार रूप है.! वैसे मेरे इस बदलाव के पीछे मेरी एक मित्र, दीक्षा महता, का भी बहुत योगदान है जिसका लेखन मुझे आज तक प्रभावित करता है! और हाँ, मेरी सबसे पहली रचना “Meaningless is ME!” का विषय मेरे मित्रो, मेरे परिवार से बढ़कर क्या हो सकता था जिनके प्रति मेरा लगाव स्वाभाविक है और जिनके प्यार के लिए मैं आजीवन शुक्रगुज़ार रहूँगा.

आप सोच रहे होँगे कि मैंने हिंदी का प्रयोग क्यो किया! पहला कारण कि मुझे हिंदी आज भी उतनी ही पसंद है जितनी पहले थी और दूसरा ये कि मेरा अंग्रेजी में हाथ थोडा तंग है. हालाँकि मैंने कुछ अंग्रेजी के शब्द प्रयोग किये हैं जिनका हिंदी में अर्थ मुझे पता नहीं और वैसे भी word-by-word अनुवाद थोडा artificial लगता है! परन्तु फिर भी मुझे ख़ुशी है कि मैं हिंदी को विलुप्ति के कगार से बचाने में कुछ तो सहयोग दे रहा हूँ!

मेरे इस blog का उद्देश्य किसी political issue या current affair को discuss करना नहीं है. मैं तो सिर्फ अपने ज़िन्दगी के सफ़र में आने वाले हर मोड़, हर पड़ाव, हर शख्स, होने वाले हर अनुभव और स्वपन संसार में विचरण करते हुए आने वाले हर एक ख्याल को समेट कर रखना चाहता हूँ! कुछ न सही पर मैं एक प्रयास तो कर रहा हूँ और मुझे पूरा विश्वास है कि आप सब मेरे इस प्रयास में अपना पूरा सहयोग देंगे! मैं अपने लेखन से आपको आनंदित करने के लिए प्रयासरत हूँ और साथ ही साथ ये विश्वास दिलाता हूँ कि मेरी हर रचना में आपको कुछ नयापन, अपनापन जरूर मिलेगा! अंत में अपनी दो पंक्तियों के साथ आपसे इज़ाज़त चाहूँगा…

“अपने अरमानो को उड़ने दे खुले आसमान में ऐ दोस्त,
आखिर फलक किसी मुल्क की जागीर थोड़े ही है!”

3 Comments »

  1. Wow..I didnt know I was present on your “Dil ki khwaish” page :)…I am humbled.And more than anything, I like the way you chose Hindi.It requires boldness to write in Hindi , because to create beauty with English words is easy , but to create beauty with Hindi words is an arduous task,but the one who succeeds creates a masterpiece!I must say your writing is impressive.

    Comment by Bani — October 20, 2011 @ 10:03 am | Reply

  2. Dearest Manish,

    You have expressed nice as if a poet. 🙂
    i like the smoothness and simple but deep emotional flow and highly interested in your coming page.

    Keep writing.

    Comment by Vishal K. Saxena — February 27, 2012 @ 4:23 pm | Reply

    • true….@ @ @

      Comment by Vishal K. Saxena — February 27, 2012 @ 4:27 pm | Reply


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